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मानवता का धर्म' श्रृंखला की द्वितीय पुस्तक ' वेद सौरभ' - वेदों को अनन्य बनानेवाले मूलभूत तथ्यों को प्रस्तुत करती है.
इस पुस्तक में प्रस्तुत प्रत्येक तथ्य के साथ उसका संक्षिप्त विवरण भी दिया गया है. इससे पाठकों की जिज्ञासा और बढ़ेगी तथा वे इस अद्भुत वैज्ञानिक और आध्यात्मिक चमत्कार - 'वेदों' को गहराई से जानने हेतु उत्सुक हो उठेंगे.
इस पुस्तक में वेदों के प्रादुर्भाव, उनकी नित्यता एवं दिव्यता के तथ्य समाहित हैं.
यह पुस्तक वेदों में विद्यमान ज्ञान तथा उनकी अद्भुत संरक्षण विधि का अवलोकन करती है.
यह पुस्तक पशु अधिकारों तथा प्रकृति संवर्धन के वैदिक दर्शन को प्रस्तुत करती है. इस में मानवता, वैश्विक बंधुत्व, समानता, सहिष्णुता, स्त्रियों के सामाजिक स्थान इत्यादि बहुत से अन्य वैदिक तथ्य भी हैं.
जीवन जीने का एकमात्र उद्देश्यपूर्ण मार्ग - हिन्दुधर्म के मूलाधार -'वेद' के माध्यम से होकर जाता है. अतः इस पुस्तक का स्वाध्याय करें तथा मानवता की प्राचीनतम् एवं महानतम् धरोहर पर गर्वित हों साथ ही हमारे वैयक्तिक, सामाजिक एवं वैश्विक जीवन को और अधिक आनंदमय बनाने की प्रक्रिया को ढूंढने के लिए प्रेरित हों.
नान्य: पन्था विद्यतेऽयनाय।।
इसके सिवाय अन्य कोई मार्ग नहीं!
Note: PLEASE READ this Disclaimer for all Agniveer books on this store
Author : Sanjeev Newar
Pages : 70
Version : eBook - PDF
Size: 5.5" x 5.8"